६ सितम्बर भारतीय सभ्यता, परम्परा, सनातना, संस्कृति और देव भाषा संस्कृत के लिए ऐतिहासिक दिन बना। फ़िल्म जगत का आधारस्तम्भ बॉम्बे टॉकीज़, ख्यातिलब्ध महिला निर्मात्री कामिनी दुबे एवं सनातनी राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद की देवभाषा संस्कृत में बनी मुख्यधारा की फ़िल्म अहं ब्रह्मास्मि का भव्य प्रीमियर भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी नगरी के आइ पी सिगरा के मल्टीप्लेक्स में सम्पन्न हुआ। विश्व इतिहास की ये विरलतम घटना है कि जब किसी संस्कृत फ़िल्म का सिनेमा घर में प्रदर्शन हुआ हो।
सैन्य विद्यालय के छात्र फ़िल्मकार आज़ाद ने करोड़ों संस्कृत प्रेमियों को सांस्कृतिक उपहार दिया है। अहं ब्रह्मास्मि अपने जड़ो की ओर लौटने का संदेश है।
राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद के इस कालजयी रचना अहं ब्रह्मास्मि का प्रथम प्रदर्शन काशीवाशियों ने किसी महायज्ञ के रूप में मनाया। भारी भीड़ के कारण हज़ारों दर्शक अहं ब्रह्मास्मि देखने से वंचित रह गए। दर्शकों एवं काशी के बुद्धिजीवियों की भारी माँग पर अहं ब्रह्मास्मि का प्रदर्शन लगातार चलता रहेगा।
हर हर महादेव और जयतु जयतु संस्कृतम के उच्चारों के साथ आज़ाद की अहं ब्रह्मास्मि का प्रदर्शन इतिहास में एक ऐतिहासिक कीर्तिमान रचित कर दिया। संस्कृत के संवर्धन की दिशा में अहम ब्रह्मास्मि का प्रदर्शन नए युग का सूत्रपात है।
फ़िल्म की प्रस्तुति राजनारायण दुबे, बॉम्बे टॉकीज़ फ़ाउंडेशन, विश्व साहित्य परिषद और आज़ाद फ़ेडरेशन ने किया है।
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